देश ही नहीं विदेशों में भी बजता है खाटू के श्यामजी का डंका .

देश ही नहीं विदेशों में भी बजता है खाटू के श्यामजी का डंका .

देश ही नहीं विदेशों में भी बजता है खाटू के श्यामजी का डंका .

कुछ दशक पहले बाबा श्याम के हजारों में श्याम भक्त फाल्गुनी लक्खी मेले के दौरान आते थे। आज बाबा के चमत्कारों के कारण प्रसिद्धी इतनी बढ गई है कि यह संख्या अब लाखों में पहुंच गई है। गत फाल्गुनी मेले में भक्तों की संख्या 25 से ३५ लाख के पार हो गई थी।

राजस्थान की धरा यूँ तो अपने आंचल में अनेक गौरव गाथाओं को समेटे हुए है, लेकिन आस्था के प्रमुख केन्द्र खाटू की बात अपने आप में निराली है। यहां विराजित बाबा श्याम का डंका पूरी दुनिया में बजता है। बाबा श्याम कलियुगी अवतारी हैं और उनके चमत्कारों के चलते आज देश ही नहीं विदेश में भी भक्तों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। मान्यता है कि बाबा के दर पर आने वाले हर भक्त की झोली भरती है। भारत के कोने-कोने में प्रतिदिन होने वाली भजन संध्याओं में श्याम नाम का गुणगान होता है। कलियुग में होने वाले चमत्कारों के चलते खाटूश्याम आज विश्व पटल पर अपनी प्रसिद्धी बनाए हुए हैं।

हारे का सहारा हैं बाबा श्याम

बर्बरीक अति बलशाली गदाधारी भीम के पुत्र घटोत्कच और नाग कन्या मौरवी के पुत्र हैं। बाल्यकाल से ही वे बहुत वीर और महान योद्धा थे। भगवान् शिव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और तीन अमोघ बाण प्राप्त किए। इसलिए इन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है। मां मोर्वी ने वचन लिया की हारे हुए का सहारा बनना। कौरव पक्ष कमजोर होने के कारण बर्बरीक उनकी ओर से युद्ध करते। जिससे सच्चाई पर बुराई की जीत होती। जिसपर श्री कृष्ण ने छल पूर्वक बर्बरीक से शीश का दान लेकर कलियुग में मेरे श्याम नाम से पूजित होकर हारे का सहारा बनने का आशीर्वाद दिया।

बाबा सबकी झोली भरता है

शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित परमधाम खाटू। यहाँ विराजित हैं भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार खाटूश्यामजी। बाबा श्याम के दर आने वाले हर भक्त की मनोकामनाएं पूरी कर किसी को औलाद, नौकरी, तो किसी को हमसफर और व्यापार में वारे न्यारे करता है। जिसके चलते श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त राजस्थान या भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं। कुछ दशक पहले फाल्गुनी लक्खी मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की तदाद हजारों से बढ़कर करीब 25 लाख तक पहुंच गई है।

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