कृष्ण के रूप में जब भगवान की अवतार लीला का समय संपूर्ण हो गया तो वे स्वधाम चले गए। इसके लिए उन्हें भी मानव देह का त्याग करना पड़ा। गुजरात में वह स्थान है जहां श्रीकृष्ण ने मानव देह त्यागी थी। आज यह स्थान एक तीर्थ का रूप ले चुका है।
जब भगवान की लीला का समय संपन्न हो गया तो उन्होंने स्वधाम जाने का निश्चय किया। वे गुजरात के भालका नामक स्थान पर पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे। उन्होंने बायां पैर दाएं पैर पर रखा हुआ था। उस समय एक शिकारी उनके पैर को किसी मृग की आंख समझ बैठा और उसने तीर चला दिया।
तीर श्रीकृष्ण के तलवे में लगा। शिकार की चाह में शिकारी पीपल के पेड़ के नीचे आया। देखा, उसका तीर कृष्ण को लगा है। वह भगवान से क्षमा मांगने लगा। तब कृष्ण ने उसे पूर्व जन्म का रहस्य बताया और क्षमा कर दिया। असल में वह शिकारी पिछले जन्म में बाली था जिसका वध भगवान राम ने छुपकर किया था।
बाण लगने की घटना श्रीकृष्ण की इच्छा से ही हुई थी। चूंकि शिकारी ने कृष्ण को बाण (भल्ल) से मारा था इसलिए इस स्थान का नामकरण भालका हो गया। बाद में कृष्ण की देह का संस्कार त्रिवेणी संगम में हुआ। आज भालका हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ बन चुका है।
इस स्थान पर एक मंदिर भी है। इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। इस मंदिर का जीर्णोद्धार सोमनाथ ट्रस्ट ने करवाया था। 1967 में मोरारजी देसाई ने यहां मूर्ति की स्थापना भी करवाई थी।
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